भीड़ भरे रेल में,
एक हम है लाचार अकेले/
मन थो है बिलकुल खाली खाली,
दिल का आँगन भी है मायूस//
मै खुद जानता नहीं था के ये जालिम इश्क मुज में भी चाजायेगा,
मुश्किल से हासिल हवी कुशी एक पल में को जाएगा/
तनहा थो इससे पहले भी मै था,
पर आपसे मिलने के भाद जितना हुवा हु...उससे भेशक कम//
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